March 6, 2019

Care of Children During Winter

बच्चों को ठंड में होने वाली तकनीफें व उनसे बचाव । क्या करें और क्या न करें।

जाड़ा जब अपनी पीक पर होता है तो बच्चे अपने कमजोर तंत्र के कारण इस मौसम में तकलीफ कुछ ज्यादा पाते है। नवजात शिशु से लेकर 8 -10 साल की उम्र तक के बच्चे जाड़े में अधिक प्रभावित होते है। आइये शुरूआत करें नवजात शिशु से –
जाडे के मौसम में शिशु का जन्म एक गर्म स्थान पर होना चाहिये। घर हो या अस्पताल जन्म के पहले ही नवजात के लिए एक गर्म स्थान की व्यवस्था कर लेनी चाहिये। जाड़े के मौसम में अगर बच्चे को गर्म स्थान न मिले तो प्रथम श्वांस लेने तक में समस्या आ सकती है। नवजात को गर्मी देने के लिए रेडियन्ट हीटर (तार वाला हीटर) या 200 वाट के दो बल्ब प्रयोग में लाये जा सकते हैं। प्रसव के स्थान पर धुंएदार अगींठी या कंडे का प्रयोग न करें। इससे कार्बन मोनोआक्साइड पैदा होती है जो कि श्वांस के लिए अति हानिकारक है। जन्मोपरान्त बच्चे को गर्मी देने के लिए इसी प्रकार हीटर या 200 वाट के बल्ब का प्रयोग करें। परन्तु अपने प्रदेश में बिजली एक समस्या है। ऐसे में बच्चे को गर्मी देने के लिए उसके बिस्तर में, परन्तु उसके शरीर से कुछ दूर, गुनगुने पानी की बोतलें रखी जा सकती है। कमरे व बोतलों की गर्मी उचित तापमान में रहनी चाहिए। अगर कमरा 28 डिग्री सेन्टीग्रेड पर गर्म है और बच्चे के शरीर का तापमान 98 से 99 डिग्री के बीच है तो यह उचित होगा।
जाड़े के मौसम में बच्चों को सर्दी, खांसी और यहाँ तक कि निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। इस निमोनिया का कारण वायरस और बैक्टीरिया का इन्फेक्शन दोनों ही हो सकते है। बच्चों को अधिक समय तक बन्द, गर्म और ओवर क्राउडेड (Over Crowded) कमरों में रखने से वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमण लग सकते है। इसके बचाव के लिए दिन के समय घरों के दरवाजे खुले रखे जा सकते हैं जिससे कि ताजी हवा घर के अन्दर आ सके। खुली हवा और धूप दोनों ही घर के अन्दर के संक्रमण को खत्म करने में सहायक होती है। थोड़े बहुत सर्दी, जुकाम के लिये दवाइयाँ सहायक नहीं होतीं बल्कि ऐसे में बिजली की केतली की सहायता से दिन में तीन चार बार बच्चे को भाप देना उचित होगा। भाप सादे पानी की ही लें उसमें कोई दवा न डालें। दवाइयों से एलर्जी बढ़ने का खतरा होता है।
जाड़ों में अक्सर बच्चे वायरल डायरिया से भी ग्रसित हो सकते है। इसका अन्य कारणों के साथ-साथ जाड़े में हाथ या बर्तनों को ठीक से न धोना भी हो सकता है। जाड़े में साबुन से हाथ धोने का आलस न करें या फिर हैन्ड सेनीटाइज़र का प्रयोग करे। हैन्ड सेनीटाइजर सूखे हाथों पर ही लगायें और लगाने के बाद ठीक प्रकार से दोनों हाथों को आपस में रगड़ लें। हैन्ड सेनीटाइजर का प्रयोग एक प्रभावी उपाय है।
जाड़े में त्वचा के ऊपर कोई नेचुरल तेल जैसे कि तिल, सरसों या नारियल का या फिर वैसलीन अथवा क्रीम अवश्य लगाये। जाड़े के खुस्क मौसम में जब त्वचा की नमी Evaporate होती है तो शरीर का तापमान कम होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रक्रियायें (immune system) शिथिल होने लगती है। शरीर पर तैलीय पदार्थ लगाने से त्वचा भी सुरक्षित रहती है और त्वचा की नमी Evaporate न होने से शरीर गर्म भी रहता है। शरीर गर्म रहने से (immune system) ठीक से कार्य करता रहता है और रोगों से लड़ने की क्षमता शिथिल नहीं होती है।
अंततः जाड़े में कपड़ों का चुनाव भी सावधानी से करें। बाजार में बहुत ही आकर्षक और गर्म दिखने वाले कपड़े दिखाई पड़ रहे है। परन्तु वे गर्म नहीं होते। जाड़े के मतलब से कपड़े प्योर ऊल के ही लें या फिर उसमें रूई या फैदर की स्टिंफंग हो। बच्चों के सिर का साइज उनके शरीर के अनुपात में बड़ा होता है उसको ढक कर रखने से भी जाड़े से काफी बचत होती है।
बच्चों को गर्म रहने के लिए कुछ अधिक ऊर्जा की भी आवश्कता होती है। मेवा से एक स्वास्थ्य कर फूड कैलोरी मिलती है। बड़े बच्चों को मेवा देना श्रेयस्कर होगा।